Kitna-Sahi a Hindi poetry by Ashish Tewari Aarav

कितना ग़लत में मिल जाना है सही? 

कितना होता आंखें मूंदना है सही? 

कुछ हैं रीति और कुछ क़ायदे पर 

किस हद तक ग़लत होना है सही?


कितना होता मुर्झा जाना है सही? 

कितना होता रूठे रहना है सही? 

क्या हर बार मानना ही होगा? पर 

किस पल तक मानूं मनाना है सही? 


कितना ख़ुद में खो जाना है सही? 

कितना होता जहां से जुड़ना है सही?

कभी हंसना, कभी रोना रहता फायदे पर 

कौन बताएं कब रोना है सही?


कितना, ठहराव के लिए चलना है सही? 

कितना होता उस तक जाना है सही? 

कहीं तो आकर ज़रा रुकना होगा ना

किस दर तक आस रखना है सही?


- आशीष तिवारी 'आरव' 

 

Comments

Popular Posts