Poetry by Ashish Tewari

किस हद तक प्यार में डूब जाना है सही?

ब तक चोट खाकर भी मुस्कुराना है सही?

कुछ तो हमेशा ही अधूरा रह जाएगा ना 


हमसफ़र हो गर रुलाने वाला तो छोड़ देना है सही?


- Ashish Tewari

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