'Ek Din Thahra' a Hindi poetry by Ashish Tewari Aarav

 


एक दिन ठहरा दो शब्द लिखे 
उन शब्दों में मुड़कर देखा 


जाना कि न कोई दर्द बड़ा 
समय भुलाता, पीड़ा व्यथा 


कुछ देर ही, पर सोचना 
है क्या जो असल में मिला 


रूकना ठहरना डूब जाना एकांत में 
पर है किसी के पास अब वक्त कहां


- आशीष तिवारी 'आरव'

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