हसरतें ऐसी की सच्चाई रुलाए Hashraten Aisi Ki Sachhayi Rulaye full poetry by Ashish Tewari 'Aarav'



 
हसरतें ऐसीं की सच्चाई रुलाए
कभी बीच भंवर में मांझी छोड़ जाए

दिल क्या है बस एक धोखा
जो हर बार दोहरा नज़रिया ले आए

जब रंग ही बिगाड़े जिंदगी को
बेरंग फूलों में खुशबू कहां से आए

उनसे मिलें तो ही दिन ढले
न मिलें तो दिन ही रात हो जाए


- आशीष तिवारी 'आरव'

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