Rang poetry by Ashish Tewari Aarav

 उड़ते रंगों में वो भी गुलाल हो गया है 

वो दुपट्टा उसे छूने से लाल हो गया है 

यूं ही रंगों की बयार उड़ती रहे सदा 

फिर लगेगा क्या ही कमाल हो गया है


- आशीष तिवारी 'आरव'

Comments

Popular Posts