Khamoshi poetry by Ashish Tewari Aarav

 ऐसा शख्स जो पूरा तुझे निचोड़ दे

जरूरी है कि अब तू उसे छोड़ दे


जरूरी नहीं हर कोई दोस्त हो तेरा

इन नज़रों में ज़रा सी परख को जोड़ दे


मन को आईने की जरूरत है तो

पहले बाहर के शीशे को फोड़ दे


खामोशी से बड़ी कोई आवाज नहीं 

जो चीखे बिना ही झिंझोड़ दे


सबसे बड़ा सवाल है किसी की ख़ामोशी 

और जवाब ज़िंदगी को नया मोड़ दे


सुराख की रौशनी मंजिल तक ले जाएगी

बस  इन अंधेरी दीवारों को तोड़ दे


- आशीष तिवारी  'आरव'

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