Roshni Ka Maalik Diya Hai Ya Hawa Hindi Poetry by Ashish Tewari 'Aarav'

 


कभी बहला कभी सहला रही है 

हवा चराग़ को मग़रूर बना रही है 

दोनों के बीच में रिश्ता निराला है 

जब थमेगी हवा तब बुझेगा दिया 

वो देखता हुआ इस सोच में पड़ा है 

रोशनी का मालिक दिया है या हवा है

- आशीष तिवारी 'आरव'

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