क्रांति कविता आशीष तिवारी 'आरव' Kranti kavita written by Ashish Tewari Aarav


क्रांति



ये क्या हाल है मेरे देश का आजकल

इस गुलिस्ताँ पर कितने कीट पतंगे लिपट गए हैं

अब तो लोगों की मानसिकता ही बदल दी गयी है पूरी

सभी एक दूसरे को मिटाने की पूरी ताकत में लगे हैं

जो साहसी हैं गलत को गलत बोलने की हिम्मत रखते हैं

वो झूठे मुकदमों में जेलों में बंद किए गए हैं

कीचड़ सा माहौल बनाया गया है एक फूल खिलाने को

जो कीचड़ में नही लिपटे वो कालिख में लिपटाये गए हैं

जिसे चुना था उन्होंने अपने अधिकारों को बचाने के लिए

वो अधिकार ही नहीं बचे तो लोग सड़कों पर उतर आए हैं

हर किसी को आगे निकलना है न जाने कितने आगे निकलना है

पहले आने की दौड़ में कुछ लोग रास्ता भटक गए हैं


© आशीष तिवारी 'आरव'

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